उत्तराखंड में सुभारती समूह के खिलाफ सरकार ने अब तक की सबसे कड़ी कार्रवाई शुरू कर दी है। जिला मजिस्ट्रेट सविन बंसल ने लंबित बकाया वसूली के तहत ₹87.50 करोड़ (सत्तासी करोड़ 50 लाख रुपए) का कुर्की वारंट जारी कर दिया है। आदेश के अनुसार, यह भारी-भरकम राशि 15 दिसंबर से पहले जमा करनी अनिवार्य है, अन्यथा संचालकों की गिरफ्तारी, संपत्ति कुर्की, और अन्य दंडात्मक कदम तुरंत लागू किए जाएंगे।
तहसील विकासनगर से इस संबंध में सम्मन की कॉपी जारी कर दी गई है, जिसकी जानकारी प्रशासनिक स्तर पर प्रसारित हो चुकी है।
धामी सरकार के निर्देश पर तेज़ हुई कार्रवाई
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हाल ही में सभी जिलाधिकारियों को बड़े बकायेदारों से वसूली अभियान तेज करने के स्पष्ट निर्देश दिए थे। उसी कड़ी में डीएम सविन बंसल ने अपनी तेज, निष्पक्ष और दमदार कार्यशैली के साथ यह बड़ा कदम उठाया है।
मेडिकल शिक्षा विभाग के निदेशक डॉ. ए.के. आर्य और निदेशालय के वरिष्ठ अधिकारियों की सिफारिश के बाद यह निर्णय लिया गया।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश, छात्रों का शिफ्ट होना और भारी आर्थिक नुकसान
जानकारी के अनुसार, सुभारती ट्रस्ट पर 300 MBBS छात्रों से धोखाधड़ी, भूमि विवाद, और अन्य अनियमितताओं के आरोपों के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कॉलेज को बंद कर दिया था।
इसके बाद छात्रों को राज्य के मेडिकल कॉलेजों में शिफ्ट किया गया, जिससे सरकार पर ₹1.13 अरब (113 करोड़) का अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ा।
इसके बाद उत्तराखंड सरकार ने सुभारती को ब्लैकलिस्ट कर दिया और राज्य में किसी भी मेडिकल कॉलेज संचालन पर प्रतिबंध लगा दिया।
बाद में ट्रस्ट ने नाम बदलकर एमटीवीटी बुद्धिस्ट रिलीजियस ट्रस्ट कर लिया और गौतम बुद्ध चिकित्सा महाविद्यालय नाम से नई NOC पाने की कोशिश की, लेकिन शासन ने स्पष्ट शर्त रखी कि जब तक लगभग ₹97 करोड़ जमा नहीं किए जाते, NOC मान्य नहीं होगी। राशि जमा न होने के कारण मामला अटका रहा।
सुभारती नेटवर्क से जुड़े विवाद—पुरानी रिपोर्ट्स में गंभीर केस दर्ज
राष्ट्रीय स्तर पर पहले से रिपोर्टेड कई मामलों ने सुभारती नेटवर्क को वर्षों से विवादों में रखा है। इनमें—
- मृत मरीज का शव रोके रखने और अतिरिक्त बिल वसूली का मामला
- हरिओम आनंद केस में CBI जांच
- “पाकिस्तान जिंदाबाद” नारेबाजी विवाद
- बाउंसर गोलीकांड और कैंपस हिंसा के केस
- छात्रों की संदिग्ध मौतें
- 23 करोड़ की FD पर आयकर कार्रवाई
- अल्पसंख्यक संस्थान होने का फर्जी दावा—हाईकोर्ट द्वारा खारिज
इन सभी मामलों की जांच अलग-अलग स्तरों पर जारी है।
15 दिसंबर अंतिम तारीख: जमा न हुआ पैसा तो सीधी कुर्की
जिला प्रशासन के अनुसार, यह अंतिम नोटिस है।
अगर 87.50 करोड़ की वसूली तय समय सीमा में जमा नहीं होती है, तो संचालकों की गिरफ्तारी, संपत्ति की कुर्की, बैंक खातों की सीलिंग और अन्य वित्तीय दंडात्मक कार्रवाई तुरंत शुरू कर दी जाएगी।