December 22, 2024

New Delhi: A view of Parliament on the day of the presentation of the Union Budget 2020-21 in the Lok Sabha, in New Delhi, Saturday, Feb. 1, 2020. (PTI Photo/Manvender Vashist) (PTI2_1_2020_000030B)

नारी शक्ति वंदन अधिनियम के नाम से महिला आरक्षण बिल को आज मंगलवार, 19 सितंबर को देश के नए संसद भवन के लोकसभा में पेश किया गया। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने इसे पेश किया।

बिल के पेश होते ही सदन में हंगामा शुरू हो गया, जिसकी वजह बिल की कॉपी थी जो पहले सांसदों के बीच सर्कुलेट नहीं की गई थी। विपक्ष ने इस प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए कहा कि बिना बिल को सर्कुलेट किए हुए इसे पेश कैसे कर दिया गया। जिस पर कानून मंत्री का जवाब आया कि बिल वेबसाइट पर अपलोड हो चुका है। हालांकि सरकार के इस जवाब से विपक्ष संतुष्ट नहीं हुआ और हंगामा जारी रहा। जिसके बाद कार्यवाही को बुधवार 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया।

राज्यसभा में भी कमोबेश यही माहौल देखने को मिला। प्रधानमंत्री मोदी के बाद बोलने आए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने जैसे ही ओबीसी महिलाओं के लिए आरक्षण की मांग की। सदन में हंगामा शुरू हो गया। हालांकि खड़गे रुके नहीं और उन्होंने कहा कि देश में कमजोर वर्ग की महिलाओं के साथ भेदभाव होता है। इस लिए नारी शक्ति वंदन अधिनियम बिल में ओबीसी महिलाओं के लिए आरक्षण हो।

उन्होंने अपनी पार्टी कांग्रेस की ओर से कहा, “वो हमें क्रेडिट नहीं देंगे। लेकिन मैं आपके संज्ञान में ये लाना चाहता हूं कि महिला आरक्षण बिल 2010 में ही पास हो गया था। लेकिन इसे रोका गया था।”

बिल को लेकर क्रेडिट की होड़

इससे पहले देश के नए संसद भवन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पहले संबोधन में महिला आरक्षण बिल को लाने का ऐलान करते हुए कहा कि इस बिल का नाम अब नारी शक्ति वंदन अधिनियम होगा और इसके माध्यम से हमारा लोकतंत्र और मजबूत होगा। इसके साथ ही उन्होंने देश की महिलाओं को बधाई देते हुए इस विधेयक को अमल में लाने के लिए संकल्पित होने की बात कही है।

पीएम मोदी ने कहा, “महिलाओं के नेतृत्व में विकास के संकल्प को आगे बढ़ाते हुए हमारी सरकार एक प्रमुख संविधान संशोधन विधेयक पेश कर रही है। इसका उद्देश्य लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं की भागीदारी को विस्तार देना है।”

बता दें कि अगले साल 2024 में लोकसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में महिला हितैषी होने का दावा करने वाली मोदी सरकार ने यह ये बिल मास्टर स्ट्रोक की तरह पेश करने की कोशिश की है। यही वजह है कि इसके क्रेडिट और टाइमिंग को लेकर भी सवाल उठ हैं। कांग्रेस का कहना है कि महिला आरक्षण बिल उनकी देन है, जबकि बीजेपी के मंत्री इसमें मोदी है, तो मुमकिन है का नारा दे रहे हैं।

सभी पार्टियां बिल के समर्थन में थीं, तो फिर 10 साल तक इंतजार क्यों!

इसी संदर्भ में राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने महिला आरक्षण बिल पर सरकार को घेरते हुए सवाल उठाया। उन्होंने सरकार से पूछा कि जब सभी पार्टियां बिल के समर्थन में थीं, तो फिर 10 साल तक इंतजार करने की जरूरत ही क्यों पड़ी। सिब्बल का कहना था कि ऐसा 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखकर किया गया है।

गौरतलब है कि इस बिल को लेकर महत्वपूर्ण जानकारियों का अभी इंतजार है। इसे लोकसभा में आज मात्र पेश किया गया है। कल यानी बुधवार, 20 सितंबर को इस बिल पर चर्चा होगी, जिसके बाद सभी पार्टियों का स्टैंड और स्पष्ट होगा। फिलहाल कानून मंत्री द्वारा यही बताया गया है कि इस बिल के तहत संसद और विधानसभा की 33 फीसदी सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी। इस तरह अभी की व्यवस्था के तहत लोकसभा में 181 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हो जायेंगी।

बुधवार को ज़ोरदार बहस की उम्मीद

नारी शक्ति वंदन बिल में दिल्ली विधानसभा में भी महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण का जिक्र है। यह प्रावधान 15 सालों के लिए है, इसके बाद संसद इसपर पुनर्विचार करेगी। विधेयक में प्रस्तावित है कि प्रत्येक आम चुनाव के बाद आरक्षित सीटों को रोटेट किया जाना चाहिए। आरक्षित सीटें राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों में रोटेशन द्वारा आवंटित की जा सकती है।

जाहिर है ये बिल लगभग तीन दशकों से अधर में लटका पड़ा है। सभी विपक्षी पार्टियों ने सर्वदलीय बैठक में भी इसकी एकजुट होकर मांग उठाई थी। कांग्रेस पहले ही इसे बिना शर्त समर्थन की बात कह चुकी है। बावजूद इसके बाकी पार्टियों द्वारा बिल के प्रावधानों पर ज़ोरदार बहस होने की उम्मीद है। क्योंकि बीजेपी इसके जरिए अपने अगले चुनाव का एजेंडा सेट करने की कोशिश का कोई मौका नहीं हाथ से जाने देगी।

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