श्रीमान मुख्यमंत्री महोदय,
उत्तराखंड शासन, देहरादून.
2.श्रीमान पुलिस महानिदेशक
उत्तराखंड पुलिस, देहरादून.
महोदय,
उत्तराखंड में सांप्रदायिक उन्माद की घटनाओं में चिंताजनक वृद्धि हुई है. आम तौर पर उम्मीद की जाती है कि पुलिस किसी भी तरह के उन्माद की घटनाओं पर रोक लगायेगी,कानून व्यवस्था कायम करेगी और पीड़ित या असुरक्षित व्यक्ति जिस भी धर्म का हो, उसे सुरक्षा प्रदान करेगी.
लेकिन इधर यह देखने में आया है कि पुलिस के कतिपय कर्मी भी सांप्रदायिक विद्वेष और धार्मिक घृणा की चपेट में हैं.
“UK 01 to 13 Uttrakhand Police” नाम के व्हाट्स ऐप ग्रुप में अल्पसंख्यक समुदाय के विरुद्ध बेहद घृणा भरे मैसेज भेजे गए ( चैट का स्क्रीन शॉट संलग्न).
जानकारी के अनुसार ये मैसेज उसी दिन भेजे गए जिस दिन घाट (नंदानगर) में नाई का काम करने वाले एक अल्पसंख्यक समुदाय के युवक पर एक लड़की को अश्लील इशारे करने के आरोप के बाद, उन्मादी भीड़,अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों और दुकानों पर हमला कर रही थी. उस दिन एक तरफ सोशल मीडिया में चमोली पुलिस,असामाजिक तत्वों के द्वारा फैलाये जा रहे घृणा और अफवाह के संदेशों के खिलाफ शांति और सौहार्द की अपील का रही थी, उत्पात करने वालों पर मुकदमा दर्ज कर रही थी और दूसरी ओर पुलिस जवानों के व्हाट्स ग्रुप में सांप्रदायिक घृणा से भरे मैसेज भेजे जा रहे थे.
महोदय, पुलिस एक अनुशासित बल है, जिससे कानून और संविधान के अनुसार चलने की अपेक्षा की जाती है. पुलिस के आचार- व्यवहार के लिए आचरण नियमावली निर्धारित है. लेकिन पुलिस के उक्त व्हाट्स ऐप ग्रुप के चैट पढ़ कर ऐसा लगता है कि यह किसी अनुशासित और कानून के अनुपालन करवाने वाले बल का नहीं बल्कि सांप्रदायिक घृणा के जहर से भरे हुए बलवाइयों का ग्रुप है.
महोदय, पुलिस और सांप्रदायिक बलवाइयों के बीच की रेखा ही मिट जाए तो प्रदेश में ना तो नागरिक सुरक्षित रह सकते हैं, ना कानून व्यवस्था और ऐसे पुलिस कर्मियों से तो समूचे पुलिस के तंत्र को भी गंभीर खतरा है.
यह हैरत की बात है कि हिंदी- अंग्रेजी कुछ समाचार पत्रों और पोर्टल्स में उक्त व्हाट्स ऐप चैट सार्वजनिक होने के बावजूद दोषी पुलिस कर्मियों के विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं की गयी. अलबत्ता उक्त व्हाट्स ऐप ग्रुप में स्क्रीनशॉट सार्वजनिक करने वालों का इलाज करने की बातें लिखी गयी.
महोदय, प्रदेश में नागरिकों के हर वर्ग की सुरक्षा, शांति, सौहार्द और कानून व्यवस्था कायम रखने के लिए यह जरूरी है कि पुलिस के भीतर पनप रही सांप्रदायिक घृणा और विद्वेष की प्रवृत्ति पर कठोरता से लगाम लगाई जाए. इसके लिए उक्त व्हाट्स ऐप ग्रुप में सांप्रदायिक घृणा भरे संदेश प्रसारित करने वाले पुलिस कर्मियों के खिलाफ कठोर कानूनी कार्यवाही की जाए. साथ ही पुलिस को अल्पसंख्यकों और महिलाओं के प्रति संवेदनशील बनाने के लिए विशेष उपाय किये जाएं.
सधन्यवाद,
सहयोगाकांक्षी
इन्द्रेश मैखुरी
राज्य सचिव, भाकपा (माले)