नई दिल्ली: विश्वभर में लोकतंत्र की स्थिति पर वी-डेम (वेराइटीज ऑफ डेमोक्रेसी) संस्थान की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत विश्व के उन शीर्ष दस देशों में शुमार है जहां निरंकुश राज्यसत्ता का शासन है.
वह उस सूची में है जिसमें ई सल्वाडोर, तुर्की और हंगरी शामिल हैं. वहीं, रिपोर्ट के अनुमान इस ओर संकेत करते हैं कि आगे देश में लोकतंत्र की स्थिति और बिगड़ेगी.
बता दें कि पिछले साल की रिपोर्ट में भारत को ‘चुनावी तानाशाही‘ वाले देश के रूप में वर्गीकृत किया गया था. इस साल भी भारत का यह शर्मनाक प्रदर्शन जारी रहा.
नतीजतन, भारत लोकतंत्र के मामले में सूची में नीचे के 40 से 50 फीसदी देशों में शुमार है. भारत में लोकतंत्र के स्तर में 2014 में भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद से ज्यादा गिरावट देखी गई है.
स्वीडिश संस्थान की डेमोक्रेसी रिपोर्ट 2022: ऑटोक्रेटाइजेशन चेंजिंग नेचर नामक रिपोर्ट में कहा गया है कि 15 देशों में लोकतंत्रीकरण की एक नई लहर देखी जा रही है, जबकि 32 देश तानाशाही के अधीन हैं.
देशों को वी-डेम के उदार लोकतंत्र सूचकांक (एलडीआई) के आधार पर वर्गीकृत किया गया है, जिसमें लोकतंत्र के चुनावी और उदार दोनों पहलुओं को शामिल किया जाता है और लोकतंत्र का निम्नतम स्तर शून्य (0) व उच्चतम स्तर एक (1) माना जाता है.
रिपोर्ट बताती है कि पिछले दशक में एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अफगानिस्तान, बांग्लादेश, कंबोडिया, हांगकांग, थाईलैंड और फिलीपींस के साथ भारत में तानाशाही रवैये की स्थिति बदतर हुई है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि तानाशाही के मामले में शीर्ष देशों में से कम से कम छह देशों में बहुलतावाद का विरोध करने वाले दल शासन चला रहे हैं. ये छह देश हैं, ब्राजील, हंगरी, भारत, पोलेंड, सार्बिया और तुर्की.
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि बहुलतावाद का विरोध करने वाले दल और उनके नेताओं में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के प्रति प्रतिबद्धता की कमी है, अल्पसंख्यकों के मौलिक अधिकारों के प्रति असम्मान की भावना है, राजनीतिक विरोधियों को दबाने को बढ़ावा देते हैं और राजनीतिक हिंसा का समर्थन करते हैं. ये सत्तारूढ़ दल राष्ट्रवादी-प्रतिक्रियावादी होते हैं और उन्होंने तानाशाही के एजेंडा को आगे बढ़ाने के लिए सरकारी शक्ति का इस्तेमाल किया है.
भारत के चुनावी तानाशाही वाले देशों में तब्दील होने का जुड़ाव नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी और उसके हिंदू-राष्ट्रवादी एजेंडा लागू करने से है. पिछले साल की रिपोर्ट में भी यही बताया गया था.
2021 की रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत में 2014 में भाजपा की मोदी सरकार आने के बाद से और उनके द्वारा हिंदू-राष्ट्रीय एजेंडा के प्रचार के बाद से लोकतंत्र के स्तर में अधिक गिरावट देखी गई.
2013 के मुकाबले 2020 में 0.23 अंकों की गिरावट देखी गई. 2013 में भारत में 2013 में लोकतंत्र का स्तर अपने चरम पर (0.57) पर था, जो कि 2020 में 0.34 रह गया. पिछले दस सालों में विश्व के किसी भी देश में यह सबसे बड़ा उतार-चढ़ाव था.